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5. नरेश अग्रवाल(झारखंड) की चार कविताएँ

1. यह लालटेन

सभी सोये हुए हैं
केवल जाग रही है
एक छोटी-सी लालटेन
रत्ती भर है प्रकाश जिसका
घर में पड़े अनाज जितना
बचाने के लिए जिसे
पहरा दे रही है यह
रातभर ।


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2. परीक्षाफल

वह बच्चा
पिछड़ा हुआ बच्चा
चील की तरह भागा
अपना परीक्षाफल लेकर
अपनी मॉं के पास
एक बार मॉं बहुत खुश हुई
उसके अच्छे अंक देखकर
फिर तुरंत उदास
किताबें खरीदकर देने के लिए
पैसे नहीं थे उसके पास।


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3. तुम्हारी थकान

इधर तुम काम बन्द करते हो
उधर सूरज अपनी रोशनी
चारों तरफ अंधेरा छा जाता है
और तुम्हारी थकान
जलने लगती है
एक मोमबत्ती की तरह ।


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4. फुटबॉल


अचानक गोल
कुछ दर्शक चिल्लाते हैं
बहुत अच्छा हुआ
कुछ चुपचाप हैं
अपने पक्ष को
हारते देख
गेंद को थोड़ा-सा भी
अवसर नहीं
सोचने का,
वह किसका साथ दे
किसका नहीं ।


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परिचय:
नाम: नरेश अग्रवाल,
1 दिसम्बर 1960 को जमशेदपुर में जन्मे श्री नरेश अग्रवाल मुख्यतः व्यवसाय में संलग्न रहते हुए 'कवि हृदय' को काफी सुन्दरता से उजागर किया है। आपकी कविता प्रायः देश की सभी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही है। जिसमे मुख्यतः वागर्थ, सबरंग, आवर्त, दस्तावेज, माध्यम, आकंठ, वर्तमान साहित्य, वसुधा, प्रभात खबर, हिन्दुस्तान आदि में प्रकाशित। आप लेखन के साथ-साथ बोनसोई कला में पूर्ण रूप से दक्ष । आपकी पुस्तक "पगडंडी पर पाँव" से चार कविता यहाँ दे रहें हैं। संपर्क: रेखी मेन्शन, 8 डायगनल रोड, विष्टुपुर, जमशेदपुर- 831001 फोन. 09334825981




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